भाग 7: संघ – union (Article 238) का विश्लेषण Indian Constitution
भाग 7 मूल रूप से संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित था। हालांकि, सातवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा इसे निरसित कर दिया गया था। इस संशोधन ने ‘भाग C और भाग D राज्यों’ की अवधारणा को समाप्त कर दिया और एक एकीकृत राज्य संरचना स्थापित की।
मूल भाग 7 – Original Part 7
मूल भाग 7 में अनुच्छेद 238 शामिल था, जो भाग C राज्यों के लिए विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित था। यह भाग C राज्यों को संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के अधीन रखता था। हालांकि, राष्ट्रपति को यह अधिकार था कि वह इन राज्यों के लिए अलग-अलग विनियम बना सकें या संसद को ऐसा करने के लिए अधिकृत कर सकें।
सातवां संविधान संशोधन – Seventh Constitutional Amendment
राज्यों के पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर, सातवें संविधान संशोधन ने भाग C और भाग D राज्यों को समाप्त कर दिया और संघ शासित प्रदेशों की एक नई श्रेणी बनाई। इसके परिणामस्वरूप, अनुच्छेद 238 अप्रासंगिक हो गया और इसे निरसित कर दिया गया।
संशोधन के बाद – After Modification
सातवें संशोधन के बाद, संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का वितरण मुख्य रूप से संविधान की सातवीं अनुसूची में सूचीबद्ध तीन सूचियों – संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची – द्वारा नियंत्रित होता है।
सारांश – Summary
- भाग 7 मूल रूप से भाग C राज्यों के लिए विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित था।
- सातवें संविधान संशोधन ने भाग C और भाग D राज्यों को समाप्त कर दिया और अनुच्छेद 238 को निरसित कर दिया।
- वर्तमान में, संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का वितरण सातवीं अनुसूची द्वारा नियंत्रित होता है।
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