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Lohri Ki kahani 13 January 2025 in hindi

Lohri Ki kahani 13 January 2025 in hindi

लोहड़ी का संबंध सुंदरी नामक एक कन्या तथा दुल्ला भट्टी नामक एक योद्धा से जोड़ा जाता है। इस संबंध में प्रचलित ऐतिहासिक कथा के अनुसार, गंजीबार क्षेत्र में एक ब्राह्मण रहता था जिसकी सुंदरी नामक एक कन्या थी जो अपने नाम की भांति बहुत सुंदर थी। वह इतनी रूपवान थी कि उसके रूप, यौवन व सौंदर्य की चर्चा गली-गली में होने लगी थी। धीरे-धीरे उसकी सुंदरता के चर्चे उड़ते-उड़ते गंजीबार के राजा तक पहुंचे। राजा उसकी सुंदरता का बखान सुनकर सुंदरी पर मोहित हो गया और उसने सुंदरी को अपने हरम की शोभा बनाने का निश्चय किया।

गंजीबार के राजा ने सुंदरी के पिता को संदेश भेजा कि वह अपनी बेटी को उसके हरम में भेज दे, इसके बदले में उसे धन-दौलत से लाद दिया जाएगा। उसने उस ब्राह्मण को अपनी बेटी को उसके हरम में भेजने के लिए अनेक तरह के प्रलोभन दिए।

राजा का संदेश मिलने पर बेचारा ब्राह्मण घबरा गया। वह अपनी लाडली बेटी को उसके हरम में नहीं भेजना चाहता था। जब उसे कुछ नहीं सूझा तो उसे जंगल में रहने वाले राजपूत योद्धा दुल्ला-भट्टी का ख्याल आया, जो एक कुख्यात डाकू बन चुका था लेकिन गरीबों व शोषितों की मदद करने के कारण लोगों के दिलों में उसके प्रति अपार श्रद्धा थी।

ब्राह्मण उसी रात दुल्ला भट्टी के पास पहुंचा और उसे विस्तार से सारी बात बताई। दुल्ला भट्टी ने ब्राह्मण की व्यथा सुन उसे सांत्वना दी और रात को खुद एक सुयोग्य ब्राह्मण लड़के की खोज में निकल पड़ा। दुल्ला भट्टी ने उसी रात एक योग्य ब्राह्मण लड़के को तलाश कर सुंदरी को अपनी ही बेटी मानकर अग्रि को साक्षी मानते हुए उसका कन्यादान अपने हाथों से किया और ब्राह्मण युवक के साथ सुंदरी का रात में ही विवाह कर दिया। उस समय दुल्ला-भट्टी के पास बेटी सुंदरी को देने के लिए कुछ भी न था। अत: उसने तिल व शक्कर देकर ही ब्राह्मण युवक के हाथ में सुंदरी का हाथ थमाकर सुंदरी को उसकी ससुराल विदा किया।

गंजीबार के राजा को इस बात की सूचना मिली तो वह आग-बबूला हो उठा। उसने उसी समय अपनी सेना को गंजीबार इलाके पर हमला करने तथा दुल्ला भट्टी का खात्मा करने का आदेश दिया। राजा का आदेश मिलते ही सेना दुल्ला भट्टी के ठिकाने की ओर बढ़ी लेकिन दुल्ला-भट्टी और उसके साथियों ने अपनी पूरी ताकत लगा कर राजा की सेना को बुरी तरह धूल चटा दी।

दुल्ला भट्टी के हाथों शाही सेना की करारी शिकस्त होने की खुशी में गंजीबार में लोगों ने अलाव जलाए और दुल्ला-भट्टी की प्रशंसा में गीत गाकर भंगड़ा डाला। कहा जाता है कि तभी से लोहड़ी के अवसर पर गाए जाने वाले गीतों में सुंदरी और दुल्ला भट्टी को विशेष तौर पर याद किया जाने लगा।

सुंदर मुंदरिए हो
तेरा कौण विचारा हो
दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ले धी ब्याही हो
सेर शक्कर पाई हो
कुड़ी दे मामे आए हो
मामे चूरी कुट्टी हो
जमींदारा लुट्टी हो
कुड़ी दा लाल दुपट्टा हो
दुल्ले धी ब्याही हो
दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ला भट्टी वाला हो

लोहड़ी के मौके पर यह गीत आज भी जब वातावरण में गूंजता है तो दुल्ला भट्टी के प्रति लोगों की अपार श्रद्धा का आभास स्वत: ही हो जाता है।

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