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GST !! Goods and service Tax !!  (वस्तु एवं सेवा कर)

GST !! Goods and service Tax !!  (वस्तु एवं सेवा कर)

GST, वस्तु एवं सेवा कर, भारत में एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। यह 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ और इसने कई केंद्रीय और राज्य करों को बदल दिया। GST को “एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजार” के रूप में डिज़ाइन किया गया है।

मुख्य विशेषताएं:

  • गंतव्य-आधारित उपभोग कर: कर का भुगतान उस राज्य द्वारा किया जाता है जहां वस्तुओं या सेवाओं का उपभोग किया जाता है।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट: व्यवसाय अपने द्वारा भुगतान किए गए इनपुट करों का श्रेय ले सकते हैं, जिससे करों पर कर लगने से बचा जा सकता है।
  • एकीकृत कर ढांचा: GST ने कई अप्रत्यक्ष करों को एक ही कर में समेकित कर दिया है, जिससे कर प्रणाली सरल हो गई है।
  • ऑनलाइन प्रक्रियाएं: GST के तहत अधिकांश प्रक्रियाएं, जैसे पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करना और कर भुगतान, ऑनलाइन की जाती हैं।

GST के लाभ:

  • सरलीकृत कर प्रणाली: GST ने कर संरचना को सरल बनाया है और अनुपालन को आसान बनाया है।
  • कर चोरी में कमी: इनपुट टैक्स क्रेडिट तंत्र कर चोरी को कम करने में मदद करता है।
  • व्यापार करने में आसानी: GST ने व्यापार करने में आसानी को बढ़ाया है और अंतर-राज्यीय व्यापार को बढ़ावा दिया है।
  • राजस्व में वृद्धि: GST से सरकार के राजस्व संग्रह में वृद्धि होने की उम्मीद है।

GST की दरें:

GST में कई कर स्लैब हैं, जैसे 0%, 5%, 12%, 18% और 28%, जो विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होते हैं। कुछ वस्तुओं और सेवाओं को GST से छूट दी गई है।

GST परिषद:

GST परिषद, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल हैं, GST से संबंधित सभी मामलों पर निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।

GST कर स्लैब और उनके पीछे का तर्क

GST में वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग दरें लागू होती हैं। इन दरों को स्लैब में विभाजित किया गया है। ये स्लैब और उनके पीछे का तर्क इस प्रकार है:

  • 0%: ज़रूरी वस्तुएं जैसे अनाज, फल, सब्जियां, नमक, किताबें आदि। तर्क: आम जनता की ज़रूरतों को पूरा करना और महंगाई को नियंत्रित रखना।
  • 5%: सामान्य उपयोग की वस्तुएं जैसे चाय, कॉफी, मसाले, खाने का तेल, चीनी आदि। तर्क: इन वस्तुओं की खपत अधिक होती है, इसलिए कम दर रखी जाती है ताकि आम आदमी पर बोझ कम पड़े।
  • 12%: प्रोसेस्ड फ़ूड, कुछ कपड़े, फ़ुटवियर, साबुन, टूथपेस्ट आदि। तर्क: ये वस्तुएं ज़रूरी तो हैं लेकिन विलासिता की श्रेणी में नहीं आतीं।
  • 18%: ज़्यादातर वस्तुएं और सेवाएं इसी स्लैब में आती हैं, जैसे मोबाइल फ़ोन, रेफ्रिजरेटर, रेस्टोरेंट सेवाएं, होटल आदि। तर्क: यह एक मानक दर है जो अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती है।
  • 28%: विलासिता की वस्तुएं जैसे कार, एयर कंडीशनर, सिगरेट, तंबाकू उत्पाद, पान मसाला आदि। तर्क: इन वस्तुओं की खपत को हतोत्साहित करना और राजस्व बढ़ाना।

स्लैब निर्धारण का तर्क:

  • ज़रूरी वस्तुएं: आम आदमी की पहुँच में रहें, इसलिए 0% या कम दर।
  • विलासिता की वस्तुएं: उच्च दर लगाकर खपत कम करना और राजस्व बढ़ाना।
  • महंगाई नियंत्रण: ज़रूरी वस्तुओं पर कम दर रखकर महंगाई को नियंत्रित रखना।
  • राजस्व संग्रह: विभिन्न दरों के माध्यम से पर्याप्त राजस्व सुनिश्चित करना।
  • सामाजिक प्रभाव: कुछ वस्तुओं, जैसे तंबाकू उत्पाद, पर उच्च कर लगाकर उनके उपयोग को हतोत्साहित करना।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि GST परिषद समय-समय पर इन दरों में बदलाव कर सकती है।

GST दर संरचना का विभिन्न आय वर्गों पर प्रभाव

GST दर संरचना का भारत में विभिन्न आय वर्गों पर प्रभाव एक जटिल मुद्दा है और इस पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं।

  • निम्न आय वर्ग: यह वर्ग अपनी आय का बड़ा हिस्सा आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करता है, जिन पर GST दर या तो कम है या छूट प्राप्त है। इसलिए, GST का सीधा बोझ इस वर्ग पर अपेक्षाकृत कम होता है। हालाँकि, कुछ आवश्यक वस्तुओं पर भी GST लगने से अप्रत्यक्ष रूप से इस वर्ग पर कुछ बोझ पड़ता है।
  • मध्यम आय वर्ग: यह वर्ग आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ कुछ विलासिता की वस्तुओं पर भी खर्च करता है। इसलिए, GST का बोझ निम्न आय वर्ग की तुलना में इस वर्ग पर अधिक होता है।
  • उच्च आय वर्ग: यह वर्ग विलासिता की वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च करता है, जिन पर GST दरें अधिक होती हैं। इसलिए, GST का बोझ इस वर्ग पर सबसे अधिक होता है। कुल मिलाकर, उच्च आय वर्ग GST राजस्व संग्रह में अधिक योगदान देता है।

विभिन्न दृष्टिकोण:

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि GST एक प्रतिगामी कर है, जिसका अर्थ है कि यह निम्न आय वर्ग पर उच्च आय वर्ग की तुलना में अधिक बोझ डालता है। दूसरी ओर, कुछ अध्ययन GST को प्रगतिशील कर मानते हैं, क्योंकि उच्च आय वर्ग GST राजस्व संग्रह में अधिक योगदान देता है।

चुनौतियाँ:

आर्थिक चुनौतियाँ:

  • उपभोग पैटर्न का डेटा: विभिन्न आय वर्गों के उपभोग पैटर्न का सटीक डेटा उपलब्ध न होने के कारण GST के प्रभाव का सही आकलन करना मुश्किल है।
  • अप्रत्यक्ष कर: GST एक अप्रत्यक्ष कर है, इसलिए इसका बोझ उपभोक्ताओं पर कैसे पड़ता है, यह ट्रैक करना मुश्किल होता है।
  • कई GST दरें: कई GST दरें होने से प्रभाव का विश्लेषण और जटिल हो जाता है।

निष्कर्ष

GST का विभिन्न आय वर्गों पर प्रभाव एक बहस का विषय है। हालाँकि, यह कहा जा सकता है कि GST की संरचना में कुछ प्रगतिशील तत्व हैं, क्योंकि उच्च आय वर्ग अधिक GST का भुगतान करते हैं। GST के वास्तविक प्रभाव को समझने के लिए और अधिक शोध और डेटा विश्लेषण की आवश्यकता है।

GST को अधिक प्रगतिशील और न्यायसंगत बनाने के लिए संभावित सुधार

GST को अधिक प्रगतिशील और न्यायसंगत बनाने के लिए कई संभावित सुधारों पर विचार किया जा सकता है:

  • 1. आवश्यक वस्तुओं को GST से छूट:       वर्तमान में कुछ आवश्यक वस्तुओं को GST से छूट प्राप्त है, लेकिन इसे और विस्तारित किया जा सकता है। इससे निम्न आय वर्ग को राहत मिलेगी।
    चुनौती: राजस्व में कमी।
  • 2. विलासिता की वस्तुओं पर उच्च GST दर:   विलासिता की वस्तुओं, जैसे कि महंगी कारें, ज्वेलरी, आदि पर GST दर बढ़ाई जा सकती है। इससे उच्च आय वर्ग पर कर का बोझ बढ़ेगा और राजस्व में वृद्धि होगी।
  • GST स्लैब का सरलीकरण:
    वर्तमान में कई GST स्लैब हैं, जिससे जटिलता बढ़ती है। स्लैब की संख्या कम करके कर प्रणाली को सरल बनाया जा सकता है।
  • 4. निम्न आय वर्ग के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT):
    GST से प्राप्त राजस्व का उपयोग निम्न आय वर्ग के लिए DBT योजनाओं के माध्यम से किया जा सकता है। इससे GST के प्रतिगामी प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
  • 5. कर आधार का विस्तार:
    वर्तमान में कई वस्तुएं और सेवाएं GST के दायरे से बाहर हैं। कर आधार का विस्तार करके राजस्व बढ़ाया जा सकता है और कर प्रणाली को अधिक न्यायसंगत बनाया जा सकता है।
    चुनौती: कुछ क्षेत्रों, जैसे कि रियल एस्टेट, को GST के दायरे में लाना राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • 6. कर अनुपालन में सुधार:
    कर चोरी को रोकने और कर अनुपालन में सुधार के लिए तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इससे राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी और कर प्रणाली को अधिक कुशल बनाया जा सकता है।
  • 7. GST परिषद की भूमिका:
    GST परिषद को कर दरों और छूटों पर निर्णय लेने में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।

निष्कर्ष

इन सुधारों को लागू करके GST को अधिक प्रगतिशील और न्यायसंगत बनाया जा सकता है। हालाँकि, इन सुधारों के कार्यान्वयन में राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियाँ भी हैं, जिन पर ध्यान देना आवश्यक है। GST परिषद को इन चुनौतियों का समाधान ढूंढने और कर प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए लगातार काम करना चाहिए।

GST सुधारों के कार्यान्वयन में राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियाँ

GST को अधिक प्रगतिशील बनाने के लिए सुधारों को लागू करने में कई राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियाँ हैं:

राजनीतिक चुनौतियाँ:

  • राज्यों के बीच सहमति: GST एक संघीय कर है, जिसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहमति आवश्यक है। अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग हित होते हैं, जिससे सुधारों पर सहमति बनाना मुश्किल हो सकता है।
  • राजनीतिक दबाव: विभिन्न उद्योग और व्यापारिक समूह GST दरों और छूटों पर अपने हितों के लिए राजनीतिक दबाव डालते हैं। इससे सुधारों को लागू करना मुश्किल हो सकता है।
  • चुनावी राजनीति: GST जैसे कर सुधार चुनावी राजनीति से प्रभावित हो सकते हैं। सरकारें अक्सर चुनावों से पहले अलोकप्रिय सुधारों को लागू करने से बचती हैं।
  • विपक्ष का विरोध: विपक्षी दल अक्सर राजनीतिक लाभ के लिए GST सुधारों का विरोध करते हैं। इससे सुधारों को लागू करने में देरी हो सकती है।
  • राजस्व में कमी: कुछ सुधार, जैसे कि आवश्यक वस्तुओं को GST से छूट, से राजस्व में कमी आ सकती है। सरकारों को राजस्व के वैकल्पिक स्रोत ढूंढने की आवश्यकता होगी।
  • महंगाई: कुछ सुधार, जैसे कि विलासिता की वस्तुओं पर GST दर में वृद्धि, से महंगाई बढ़ सकती है। इससे आम जनता पर बोझ बढ़ सकता है।
  • आर्थिक विकास पर प्रभाव: GST सुधारों का आर्थिक विकास पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सुधारों को सावधानीपूर्वक लागू करना आवश्यक है ताकि आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
  • अनौपचारिक क्षेत्र: भारत में एक बड़ा अनौपचारिक क्षेत्र है, जो GST के दायरे से बाहर है। इस क्षेत्र को GST के दायरे में लाना एक बड़ी चुनौती है।

सुधारों के लिए रास्ता:

इन चुनौतियों के बावजूद, GST को अधिक प्रगतिशील बनाने के लिए सुधार आवश्यक हैं। इन सुधारों को लागू करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • व्यापक परामर्श: सुधारों को लागू करने से पहले सभी हितधारकों, जैसे कि राज्य सरकारें, उद्योग समूह, और विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श करना चाहिए।
  • राजनीतिक सहमति: सुधारों को लागू करने के लिए राजनीतिक सहमति बनाना आवश्यक है।
  • क्रमिक कार्यान्वयन: सुधारों को एक साथ लागू करने के बजाय, उन्हें चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है।
  • प्रभाव का मूल्यांकन: सुधारों के प्रभाव का नियमित मूल्यांकन करना चाहिए और आवश्यकतानुसार बदलाव करने चाहिए।

विभिन्न आय वर्गों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए GST को अधिक प्रगतिशील बनाने के विशिष्ट तरीके

GST को अधिक प्रगतिशील बनाने के लिए, विभिन्न आय वर्गों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित विशिष्ट तरीकों पर विचार किया जा सकता है:

1. आवश्यक वस्तुओं पर GST में कमी या छूट:

  • राशन: गरीबों के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, दाल, तेल आदि पर GST को कम किया जा सकता है या पूरी तरह से हटाया जा सकता है। राशन कार्ड धारकों को अतिरिक्त छूट दी जा सकती है।
  • दवाइयाँ और स्वास्थ्य सेवाएँ: आवश्यक दवाइयों और स्वास्थ्य सेवाओं पर GST को कम किया जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए सुलभ हो सके।
  • शिक्षा: शैक्षिक सामग्री, किताबें, फीस आदि पर GST को कम किया जा सकता है या हटाया जा सकता है, जिससे शिक्षा को बढ़ावा मिले।
  • सार्वजनिक परिवहन: सार्वजनिक परिवहन, जैसे बस और रेल, पर GST को कम किया जा सकता है, जिससे कम आय वाले लोगों को आवागमन में आसानी हो।

2. विलासिता की वस्तुओं पर GST में वृद्धि:

  • लक्ज़री कारें, ज्वेलरी, और इलेक्ट्रॉनिक्स: इन वस्तुओं पर GST दरों में वृद्धि की जा सकती है, जिससे उच्च आय वर्ग से अधिक राजस्व प्राप्त हो सके।
  • विलासितापूर्ण सेवाएँ: उच्च-स्तरीय रेस्टोरेंट, होटल, और अन्य विलासितापूर्ण सेवाओं पर GST दरों में वृद्धि की जा सकती है।

3. बहु-स्तरीय GST दर संरचना:

  • आवश्यक वस्तुओं पर कम दरें: आवश्यक वस्तुओं पर GST की दरें कम रखी जा सकती हैं।
  • विलासिता की वस्तुओं पर उच्च दरें: विलासिता की वस्तुओं पर GST की दरें उच्च रखी जा सकती हैं।
  • मध्यम दरें:अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर मध्यम GST दरें लागू की जा सकती हैं।

4. लक्षित सब्सिडी:

  • DBT: GST से प्राप्त राजस्व का उपयोग गरीबों को लक्षित सब्सिडी प्रदान करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि खाद्य, ईंधन, और रसोई गैस पर सब्सिडी।

5. कर अनुपालन में सुधार:

  • तकनीक का उपयोग: कर चोरी को रोकने और कर अनुपालन में सुधार के लिए तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इससे राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी और कर प्रणाली को अधिक कुशल बनाया जा सकता है।

6. GST परिषद में प्रतिनिधित्व:

  • विभिन्न हितधारकों का प्रतिनिधित्व: GST परिषद में विभिन्न हितधारकों, जैसे कि उपभोक्ता समूहों और विशेषज्ञों, का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा जा सके।

इन उपायों को लागू करके, GST को अधिक प्रगतिशील बनाया जा सकता है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कर प्रणाली सभी आय वर्गों के लिए न्यायसंगत हो। यह महत्वपूर्ण है कि इन सुधारों को लागू करते समय आर्थिक विकास और राजस्व संग्रह पर उनके प्रभाव पर भी विचार किया जाए।

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