भाग 22: संक्षिप्त शीर्षक, प्रारंभ और निरसन (अनुच्छेद 393-395)
- भाग 22 संविधान का अंतिम भाग है और इसमें संविधान के संक्षिप्त नाम, प्रारंभ की तिथि और निरसित और संशोधित अधिनियमों से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- अनुच्छेद 393. संक्षिप्त शीर्षक – यह अनुच्छेद बताता है कि इस संविधान को “भारत का संविधान” कहा जाएगा। यह एक साधारण लेकिन महत्वपूर्ण प्रावधान है जो संविधान की पहचान स्थापित करता है।
- अनुच्छेद 394. प्रारंभ – यह अनुच्छेद संविधान के प्रारंभ की तिथि निर्धारित करता है। संविधान का अधिकांश भाग 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ, जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। हालाँकि, कुछ प्रावधान, जैसे नागरिकता, चुनाव, संसद और राज्य विधानसभाओं से संबंधित प्रावधान, 26 नवंबर, 1949 को ही लागू हो गए थे।
- अनुच्छेद 395. निरसन – यह अनुच्छेद भारत सरकार अधिनियम, 1935 और भारत की स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 सहित कुछ अधिनियमों और आदेशों को निरस्त करता है। यह सुनिश्चित करता है कि नया संविधान सर्वोच्च कानून है और पुराने कानून अब लागू नहीं होते हैं, जब तक कि वे संविधान के साथ असंगत न हों। यह अनुच्छेद यह भी स्पष्ट करता है कि निरसन से पहले किए गए कार्यों, चीजों, या कार्यवाहियों की वैधता प्रभावित नहीं होगी।
यह भाग संविधान के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक तकनीकी और संवादात्मक पहलुओं को संबोधित करता है।
संक्षेप में (In short)
- अनुच्छेद 393: संविधान का नाम “भारत का संविधान” रखता है।
- अनुच्छेद 394: संविधान के प्रारंभ की तिथि 26 जनवरी, 1950 निर्धारित करता है (कुछ प्रावधानों के लिए 26 नवंबर, 1949)।
- अनुच्छेद 395: पुराने कानूनों को निरस्त करता है और नए संविधान को सर्वोच्च प्राधिकार बनाता है।
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