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भारतीय संविधान ( Indian Constitution) act! artical

भारतीय संविधान ( Indian Constitution)

कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं(Some important features are as follows)

  • मौलिक अधिकार(Fundamental Rights) ये अधिकार नागरिकों को स्वतंत्रता और समानता की गारंटी देते हैं, जैसे कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता, और समानता का अधिकार।
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व(Directive Principles of State Policy) ये तत्व सरकार को सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं, जैसे कि शिक्षा का अधिकार, काम का अधिकार, और समान नागरिक संहिता।
  • सरकार की संसदीय प्रणाली(parliamentary system of government) भारत में संसदीय लोकतंत्र है, जहां जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सरकार बनाते हैं और चलाते हैं।
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता(independence of the judiciary) न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है, और यह संविधान की रक्षा और व्याख्या करती है।
  • संघवाद (Federalism) भारत एक संघीय राज्य है, जहां शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच होता है।

संविधान में संशोधन की भी व्यवस्था है, ताकि समय के साथ बदलती जरूरतों के अनुसार इसे अनुकूलित किया जा सके। यह एक जीवंत दस्तावेज है जो भारतीय लोकतंत्र के विकास और प्रगति का आधार है।

भारतीय संविधान की कुछ विशिष्ट विशेषताएं

  • लिखित एवं विस्तृत (written and detailed)यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें मूल रूप से 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं। यह विस्तृत होने के कारण, शासन के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। अन्य कई संविधान, जैसे ब्रिटेन का, अलिखित हैं।
  • संघीय ढांचा एकात्मक विशेषताओं के साथ (Federal structure with unitary characteristics) भारत एक संघीय राष्ट्र है जहाँ शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच है। हालांकि, इसमें कुछ एकात्मक विशेषताएं भी हैं, जैसे कि आपातकालीन प्रावधान, जो केंद्र को अधिक शक्तिशाली बनाते हैं। यह संतुलन इसे अन्य विशुद्ध संघीय या एकात्मक देशों से अलग करता है।
  • संसदीय प्रणाली (Parliamentary System) भारत में ब्रिटेन की तरह संसदीय प्रणाली है, जहाँ कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है। यह अमेरिका जैसे राष्ट्रपति प्रणाली वाले देशों से अलग है, जहाँ राष्ट्रपति सरकार का प्रमुख होता है और विधायिका से स्वतंत्र होता है।
  • मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निर्देशक तत्व (Fundamental Rights and Directive Principles of State Policy) संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है और राज्य को नीति निर्देशक तत्वों का पालन करने का निर्देश देता है। यह दोहरी व्यवस्था नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। कई संविधानों में यह स्पष्ट विभाजन नहीं होता है।
  • न्यायिक समीक्षा (judicial review) भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि वह किसी भी कानून की संवैधानिकता की जांच कर सकता है। यह न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक बनाता है और शक्ति के दुरुपयोग को रोकने में मदद करता है।
  • धर्मनिरपेक्षता (Secularism) भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता को सुनिश्चित करता है, जिसका अर्थ है कि राज्य किसी विशेष धर्म का पक्ष नहीं लेता है। यह सभी धर्मों को समान मान्यता देता है और नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है।

संक्षेप में, भारतीय संविधान विभिन्न स्रोतों से प्रेरणा लेकर एक अनूठा मिश्रण बनाता है जो भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल है।

भारतीय संविधान के संघीय लक्षणों की तुलना अमेरिकी और कनाडाई संविधानों सेकरने पर समानताएं और भिन्नताएं दोनों उभर कर आती हैं:

समानताएं (Similarities)

भारतीय संविधान एक विस्तृत दस्तावेज है जो भारत के शासन के मूल ढांचे को निर्धारित करता है। यह नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों, सरकार की संरचना और शक्तियों, और न्यायपालिका की भूमिका को परिभाषित करता है। संविधान की प्रस्तावना में इसके मूल सिद्धांतों, जैसे कि संप्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का उल्लेख किया गया है। यह संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया था और 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।

  • लिखित संविधान (Written constitution)तीनों देशों में लिखित संविधान है जो शासन के मूल ढांचे को परिभाषित करता है और केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों का बंटवारा करता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय (Supreme court) तीनों देशों में एक सर्वोच्च न्यायालय है जो संविधान का संरक्षक है और केंद्र-राज्य विवादों का निपटारा करता है।
  • द्विसदनीय विधायिका (Bicameral Legislature) भारत और अमेरिका में द्विसदनीय विधायिका है, जबकि कनाडा में भी सीनेट और हाउस ऑफ कॉमन्स हैं। यह राज्यों को केंद्रीय विधायिका में प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।
  • भारत बनाम अमेरिका (India vs America) भारतीय संविधान अमेरिकी संविधान से प्रेरित है, लेकिन इसमें महत्वपूर्ण अंतर हैं। भारत में केंद्र सरकार अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली है, जबकि अमेरिका में राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्राप्त है। भारत में एकल नागरिकता है, जबकि अमेरिका में दोहरी नागरिकता है।
  • भारत बनाम कनाडा (India vs Canada) भारतीय और कनाडाई संविधानों में कुछ समानताएं हैं, जैसे कि केंद्र की ओर झुकाव और राज्यपालों की केंद्र द्वारा नियुक्ति। हालांकि, कनाडा में अवशिष्ट शक्तियां पहले प्रांतों के पास थीं, बाद में केंद्र को हस्तांतरित कर दी गईं। कनाडा में भी दोहरी नागरिकता है, जबकि भारत में एकल नागरिकता है।

संक्षेप में, भारतीय संविधान एक अनूठा मिश्रण है जो विभिन्न स्रोतों से प्रेरणा लेता है और भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल है। यह अमेरिकी और कनाडाई संविधानों से समानताओं और भिन्नताओं दोनों को प्रदर्शित करता है।

भारत, अमेरिका और कनाडा के संविधान संशोधन प्रक्रियाएं केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्ति संतुलन को दर्शाती हैं:

भारत (India)

  • अपेक्षाकृत आसान प्रक्रिया (Relatively easy Process) भारतीय संविधान में संशोधन अपेक्षाकृत आसान है। अधिकांश संशोधनों के लिए संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत (उपस्थित और मतदान करने वालों का दो-तिहाई) की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में, राज्यों की आधी विधानसभाओं की भी सहमति आवश्यक होती है।
  • केंद्र का प्रभुत्व (Dominance of the Center) संशोधन प्रक्रिया में राज्यों की भूमिका सीमित है, जो केंद्र सरकार के प्रभुत्व को दर्शाता है। राज्य संविधान संशोधन की पहल नहीं कर सकते।

अमेरिका (America)

  • कठिन प्रक्रिया (Difficult Process) अमेरिकी संविधान में संशोधन करना बहुत कठिन है। इसके लिए कांग्रेस के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत या दो-तिहाई राज्यों की विधानसभाओं द्वारा संविधान संशोधन के लिए एक सम्मेलन बुलाने की मांग की आवश्यकता होती है। प्रस्तावित संशोधन को तीन-चौथाई राज्यों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
  • राज्यों का महत्वपूर्ण प्रभाव (Significant influence of states) संशोधन प्रक्रिया में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका अमेरिकी संघवाद के वास्तविक स्वरूप को दर्शाती है, जहाँ राज्यों को पर्याप्त स्वायत्तता प्राप्त है।

कनाडा

  • कठिन और जटिल प्रक्रिया (Difficult and complex process) कनाडाई संविधान में संशोधन की प्रक्रिया जटिल है और इसमें केंद्र और प्रांतों दोनों की सहमति आवश्यक होती है। कुछ संशोधनों के लिए संसद और सभी प्रांतों की विधानसभाओं की सहमति आवश्यक होती है, जबकि कुछ अन्य के लिए संसद और प्रभावित प्रांतों की सहमति पर्याप्त होती है।
  • प्रांतों का प्रभाव (Dnfluence of Provinces)संशोधन प्रक्रिया में प्रांतों का प्रभाव कनाडा के अर्ध-संघीय ढांचे को दर्शाता है, जहाँ प्रांतों को महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

संविधान संशोधन प्रक्रियाएं केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्ति संतुलन को दर्शाती हैं। भारत में केंद्र का प्रभुत्व, अमेरिका में राज्यों का महत्वपूर्ण प्रभाव, और कनाडा में केंद्र और प्रांतों के बीच साझेदारी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यह संतुलन प्रत्येक देश के इतिहास, राजनीतिक संस्कृति और संघवाद के स्वरूप को दर्शाता है।

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