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वेद व्यास महाभारत के रचियता की कहानी The story of the author of Ved Vyas Mahabharata

वेद व्यास महाभारत के रचियता की कहानी The story of the author of Ved Vyas Mahabharata

महामुनि व्यास बहुत से वेदों और महान कथा महाभारत के रचियता थे| जिनके जीवन का सत्य भी कुछ भिन्न है| इस लेख के माध्यम से हम उनके जन्म से जुड़े समस्त तथ्यों पर प्रकाश डाला है|अपनी माँ के आशीर्वाद और पिता के तप से वे एक प्रसिद्ध महामुनि बने|

 वेद व्यास की माता का नाम सत्यवती था| सत्यवती अप्सरा अद्रिका की बेटी थी| अद्रिका श्राप के कारण एक मछली बन जाती है और यमुना नदी में रहती थी| एक बार चेदी के राजा वासु शिकार कर रहे होते है और एक बगुले को मार देते है वो ये बगुला अपनी पत्नी को देना चाहते थे लेकिन वो यमुना नदी में गिर जाते है और उसे अद्रिका नाम की वही मछली खा लेती है| राजा उस मछली को पकड़कर उसका पेट काटता है और देखता है कि उसके पेट में 2 बच्चे होते है एक लड़का और एक लड़की| राजा लड़के को अपने पास रख लेता है और अपनी प्रजा को बताता है कि वो चेदी का राजकुमार है| राजा वासु उस लड़की को मत्स्य गाँधी नाम के मछली पकड़ने वाले को दे देता है| वो उसे अपनी बेटी की तरह पालता है और उसका नाम काली(क्यूंकि वो रंग रूप में काली होती है) रखता है | समय के साथ काली का नाम सत्यवती हो जाता है| सत्यवती के पिता नाव भी चलाया करते थे, सत्यवती अपने पिता के काम में उनकी मदद किया करती थी| सत्यवती अब बड़ी हो जाती है और उनके पिता उसके लिए योग्य वर तलाशने लगते है|

एक बार दिन के समय सत्यवती की मुलाकात ऋषि पराशर से होती है वे उसे यमुना नदी के दुसरे स्थान तक छोड़ने को बोलते है | सत्यवती के पिता किसी दुसरे कार्य में वयस्त थे जिस वजह से सत्यवती को नाव चला कर  ऋषि मुनि को यमुना पार ले जाना पड़ा| ऋषि मुनि सत्यवती के रूप से मोहित हो जाते है और विवाह के पहले संबध बनाने का आग्रह करते है लेकिन सत्यवती यह कह कर मना कर देती है कि वो ब्राह्मण है और सत्यवती मामूली मछली पकड़ने वाले की बेटी,ऐसा करने से उनके कुल की प्रतिष्ठा मिटटी में मिल जाएगी| ऋषि मुनि सत्यवती की बात नहीं मानते है, तब सत्यवती ऋषि मुनि के श्राप के डर से उनकी बात मान जाती है लेकिन उनके सामने एक शर्त रखती है, वे उनसे कहती है कि अपने सम्बन्ध के बारे में किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए, उनको कभी कोई गलत द्रष्टि से ना देखे| और ये भी बोलती है कि उनका पुत्र जगत में बहुत प्रसिद्ध और विद्वान् हो| उसके ज्ञान की चर्चा दूर दूर तक हो|

ऋषि मुनि उनकी ये बात मान जाते है और वेद व्यास के जीवन की शुरुवात होती है| ऋषि मुनि और सत्यवती का एक पुत्र होता है| ऋषि मुनि इसके बाद चले जाते है और वादा करते है कि वे सत्यवती से कभी नहीं मिलेंगे| सत्यवती का पुत्र ऋषि मुनि के तप और आशीर्वाद से तुरंत बड़ा हो जाता है और एक हट्टा कट्टा नौजवान बन जाता है| वो अपनी माँ सत्यवती से वादा करता है कि जब भी वो उसे बुलाएगी वो तुरंत उसके पास आ जायेगा और उसकी मनोकामना पूरी करेगा| उस समय उसका नाम कृष्ण रखा जाता है| इसके बाद वे जंगल में चले जाते है और तपस्या में लीन हो जाते है| बाद में इनका नाम वेद व्यास पड़ा| व्यास बहुत से वेदों और महान कथा महाभारत के रचियता थे| सत्यवती की वजह से कही ना कही वे भी महाभारत में एक पात्र की भूमिका निभाते है| इसके बाद सत्यावती का विवाह हस्तिनापुर के राजा शान्तनु से हो जाता है| जिससे उनके 2 पुत्र चित्रांगदा और विचित्रवीर्य होते है| धृतराष्ट्र और पांडव विचित्रवीर्य के पुत्र और सत्यवती के पोते थे|

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