GKPWALA.IN

Desire to know everything

भारतीय संविधान भाग 2 (indian constitution part 2 article 5-11)

भारतीय संविधान भाग 2 (indian constitution article 5-11)

भारतीय संविधान का भाग 2, अनुच्छेद 5 से 11, भारत की नागरिकता से संबंधित है। यह बताता है कि संविधान लागू होने पर किसे नागरिक माना जाएगा और नागरिकता कैसे अर्जित या खोई जा सकती है। आइए प्रत्येक अनुच्छेद पर विस्तार से चर्चा करें:

अनुच्छेद (Article 5): संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता

यह अनुच्छेद उन लोगों के लिए नागरिकता के अधिकारों को परिभाषित करता है, जो संविधान के प्रारंभ के समय भारत के नागरिक थे। इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो भारत में अधिवासित है और निम्नलिखित में से किसी भी शर्त को पूरा करता है, उसे भारत का नागरिक माना जाएगा:

  • भारत में जन्मा हो।
  • उसके माता या पिता भारत में जन्मे हों।
  • संविधान लागू होने से पहले कम से कम पाँच वर्षों तक भारत में सामान्य रूप से निवास कर रहा हो।

अनुच्छेद (Article 6): पाकिस्तान से भारत आने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार

यह अनुच्छेद उन लोगों के लिए नागरिकता के प्रावधानों से संबंधित है, जो 19 जुलाई, 1948 से पहले भारत आ गए थे।

अनुच्छेद (Article 7): पाकिस्तान जाने वाले कुछ प्रवासियों के नागरिकता के अधिकार

यह अनुच्छेद उन लोगों से संबंधित है जो 1 मार्च, 1947 के बाद पाकिस्तान चले गए थे, लेकिन बाद में भारत लौट आए।

अनुच्छेद (Article 8): भारतीय मूल के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार जो भारत के बाहर रहते हैं

यह अनुच्छेद भारतीय मूल के उन व्यक्तियों के लिए नागरिकता के अधिकारों से संबंधित है जो भारत के बाहर रहते हैं।

अनुच्छेद (Article 9): स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त करने वाले व्यक्ति भारत के नागरिक नहीं होंगे।

यह अनुच्छेद बताता है कि यदि कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है, तो वह अपनी भारतीय नागरिकता खो देगा।

अनुच्छेद (Article 10): नागरिकता के अधिकारों का बना रहना

यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि संविधान के किसी भी प्रावधान से किसी व्यक्ति के नागरिकता के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे, जब तक कि संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा ऐसा प्रावधान न किया गया हो।

अनुच्छेद (Article 11): संसद विधि द्वारा नागरिकता के अधिकार को विनियमित कर सकेगी।

यह अनुच्छेद संसद को नागरिकता के अधिग्रहण और समाप्ति से संबंधित कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। यह संसद को नागरिकता के मामलों पर व्यापक शक्ति देता है।

संक्षेप में, भाग 2 नागरिकता के विभिन्न पहलुओं को परिभाषित करता है, जिसमें नागरिकता का अधिग्रहण, समाप्ति और संसद द्वारा इसे विनियमित करने की शक्ति शामिल है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नागरिकता कानून समय के साथ बदल सकते हैं और संसद द्वारा संशोधित किए जा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights