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भाग 5: संघ – Union (Article 52-151)

भाग 5: संघ – Union (Article 52-151) (Indian Constitution)

भाग 5, संघ, भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो केंद्र सरकार की संरचना और कार्यों को परिभाषित करता है। इसमें अनुच्छेद 52 से 151 शामिल हैं और इसे निम्नलिखित अध्यायों में विभाजित किया गया है:

अध्याय 1: कार्यपालिका-Executive-(अनुच्छेद 52-78)

  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति(President and Vice President)यह अनुभाग राष्ट्रपति (अनुच्छेद 52-62) और उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 63-72) के पदों की स्थापना, उनके चुनाव, शक्तियों और कार्यों से संबंधित है। यह प्रधान मंत्री और मंत्रिपरिषद (अनुच्छेद 74-75) की भूमिका को भी रेखांकित करता है, जो राष्ट्रपति को सलाह देने और सरकार के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के लिए जिम्मेदार हैं। महान्यायवादी (अनुच्छेद 76) भारत सरकार का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है।

अध्याय 2: संसद- Constitution-(अनुच्छेद 79-122)

  • संसद का गठन (Constitution of Parliament:) यह खंड संसद की संरचना (अनुच्छेद 79), जिसमें राष्ट्रपति, राज्य सभा (अनुच्छेद 80) और लोक सभा (अनुच्छेद 81) शामिल हैं, का विवरण देता है। इसमें दोनों सदनों के अधिकारियों, जैसे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष (अनुच्छेद 89, 93, 100), और संसदीय प्रक्रियाओं पर चर्चा की गई है। यह संसद के सदस्यों की योग्यता (अनुच्छेद 84), विशेषाधिकार (अनुच्छेद 105) और विधायी प्रक्रिया (अनुच्छेद 107-111) को भी परिभाषित करता है।

अध्याय 3: राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ (अनुच्छेद 123)

  • अध्यादेश जारी करना (Issue Ordinance) यह अनुभाग राष्ट्रपति को अध्यादेश (अनुच्छेद 123) जारी करने की शक्ति प्रदान करता है, जिसमें संसद के सत्र न होने पर कानून का बल होता है।

अध्याय 4: संघ न्यायपालिका (अनुच्छेद 124-147)

  • सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)  यह खंड सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 124-147) की स्थापना, न्यायाधीशों की नियुक्ति और पदच्युति, इसकी अधिकारिता और शक्तियों से संबंधित है।
अध्याय 5: भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148-151)
  • CAG: यह अनुभाग भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148-151) के पद, उनकी नियुक्ति, शक्तियों और कार्यों से संबंधित है, जो संघ और राज्यों के खातों की लेखा परीक्षा के लिए जिम्मेदार हैं।

भाग 5 संघ सरकार के ढांचे और कार्यों के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है, शक्तियों के पृथक्करण और विभिन्न सरकारी शाखाओं के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है।

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