भाग 21: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध (Article 369-392)
भाग 21: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध (अनुच्छेद 369-392) का विश्लेषण:
यह भाग संविधान के कार्यान्वयन के बाद पहले पाँच वर्षों के लिए अस्थायी और संक्रमणकालीन उपायों से संबंधित है, जिन्हें बाद में संसद द्वारा बढ़ाया जा सकता था। यह भाग कुछ विशेष प्रावधान भी प्रदान करता है जो संविधान के अन्य भागों से अलग हैं।
मुख्य विशेषताएं (Main characteristics)
- Article 369.: यह अनुच्छेद संविधान के प्रारंभ से पहले मौजूदा कानूनों की निरंतरता की अनुमति देता है, भले ही वे संविधान के प्रावधानों के विपरीत हों। यह संसद को ऐसे कानूनों में संशोधन या निरसन करने की शक्ति भी प्रदान करता है।
- Article 370 (निरस्त): यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था। इसे 5 अगस्त, 2019 को निरस्त कर दिया गया।
- Article 371: यह अनुच्छेद महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और गोवा जैसे कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान करता है। ये प्रावधान मुख्य रूप से इन राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।
- Article 371A – 371J: ये अनुच्छेद विभिन्न राज्यों के लिए विशेष प्रावधान करते हैं, जैसे नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक।
- Article 372: यह अनुच्छेद संविधान के प्रारंभ से पहले मौजूद कानूनों की निरंतरता से संबंधित है, जब तक कि उन्हें संसद द्वारा निरस्त या संशोधित नहीं किया जाता है।
- Article 373: यह अनुच्छेद कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट की अधिकारिता को प्रतिबंधित करता है।
- Article 374: यह अनुच्छेद भारत के अटॉर्नी-जनरल की नियुक्ति और कार्यों से संबंधित है।
- Article 375-392: ये अनुच्छेद विभिन्न अस्थायी और संक्रमणकालीन प्रावधानों से संबंधित हैं, जैसे कि लोक सेवा आयोग, उच्च न्यायालयों की अधिकारिता, चुनाव, और संविधान के हिंदी में आधिकारिक पाठ।
महत्व (Main characteristics)
भाग 21 संविधान के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक अस्थायी और संक्रमणकालीन उपाय प्रदान करता है। यह कुछ राज्यों की विशेष आवश्यकताओं को भी पूरा करता है और संविधान के अन्य भागों के साथ सामंजस्य सुनिश्चित करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इनमें से कई प्रावधान समय के साथ संशोधित या निरस्त किए गए हैं, इसलिए वर्तमान स्थिति को समझने के लिए संविधान के नवीनतम संस्करण का संदर्भ लेना आवश्यक है।
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