GKPWALA.IN

Desire to know everything

छट पूजा | Chhat Pooja fasival 2023

छठ पूजा क्या है?

छठ पूजा पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी माता भगवान सूर्य की बहन हैं। छठ पूजा का पर्व खासतौर पर बिहार में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। बिहार के लोग इसे अपना सबसे बड़ा पर्व मानते हैं और एक तरह से ये पर्व उनकी संस्कृति बन गया है।वहीँ इस लेख छठ पूजा क्यों मनाई जाती है के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको इसे पूरी तरह से पढ़ना होगा। तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं छठ पूजा क्यों किया जाता है।

छठ पूजा एक हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा पर्व है। इस पर्व की धूम धाम बिहार में देखी जाती है। माना जाता है कि यह पर्व वैदिक काल से चला आ रहा है। छठ पूजा पर्व का उल्लेख रामायण एवं महाभारत में भी मिलता है अर्थात यह पर्व रामायण काल एवं महाभारत काल से चला आ रहा है।

छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना की जाती है। लेकिन बाकी हिन्दू पर्वों की तरह इसमें मूर्ति पूजा शामिल नहीं है। बिहार में हिन्दू धर्मावलंबियों के अलावा इस्लाम एवं अन्य धर्म के लोग भी मनाते हैं। इस पर्व के पीछे कुछ पौराणिक मान्यताएं हैं और इससे जुड़ी बहुत सी कथाएं भी प्रचिलित हैं।

2023 में छठ पूजा कब है?

पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि 18 नवंबर दिन शनिवार को सुबह 09:18 AM से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 19 नवंबर दिन रविवार को सुबह 07:23 AM पर होगा।छठ पूजा कैलेंडर 2023यदि आपको छठ पूजा के पूजा समय के बारे में जानकारी चाहिए तब नीचे दिए गए table से सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

रामायण काल में एक मान्यता के अनुसार जब भगवान राम ने लंका में विजय हासिल कर लिया था उसके बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन भगवान राम एवं माता सीता ने सूर्योपासना एवं आराधना की और सप्तमी के दिन फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया था।

छठ पूजा कब मनाया जाता है?

छठ पूजा का पर्व वर्ष भर में दो बार आता है। छठ पूजा का पर्व का हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है और दूसरा चैत्र माह की षष्ठी तिथि को आता है, लेकिन मुख्य रूप से कार्तिक मास की छठ पूजा का पर्व ही मनाया जाता है। छठ पूजा का पर्व हर वर्ष मनाया जाने वाला पर्व है।

छठ पूजा का पर्व इस दिन मनाने के पीछे बहुत सी पौराणिक मान्यताएं हैं और इस दिन से जुड़ी हुई बहुत सी कथाएं भी प्रचिलित हैं। छठ पूजा पर्व के अनुष्ठान बहुत कठोर माने जाते हैं। इसमें निर्जल व्रत से लेकर पानी में खड़े होकर सूर्य अर्घ्य देना आदि कार्य शामिल हैं जो कि इस पर्व में उपासक को करना होता है। पर्यावरणविदों के अनुसार भी छठ पूजा के पर्व को प्रकृति के अनुकूल माना गया है।

छठ पूजा क्यों करते हैं?

छठ पूजा का पर्व घर परिवार के सभी सदस्यों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए मनाया जाता है। इस दिन प्राकृतिक सौंदर्य एवं परिवार के कल्याण के लिए पूजा की जाती है। माना जाता है कि छठ पूजा करने से परिवार में सुख समृद्धि बानी रहती है एवं मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

कुछ महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए और पुत्र के कुशल मंगल रहने की कामना को लेकर इस दिन व्रत रखती हैं। वैंसे तो इस दिन स्त्री एवं पुरुष दोनों ही लगभग समान रूप से व्रत रखते हैं। पुरुष भी अपने मनवांछित फल प्राप्ति के लिये इस कठोर व्रत को रखते हैं। रोगी या फिर रोगी परिवारजन रोग से मुक्ति पाने के पाने के लिए छठ पूजा करते हैं।

बालकों की रक्षिका हूं।’ इतना कहकर देवी ने शिशु के मृत शरीर को स्पर्श किया, जिससे वह जीवित हो उठा। इसके बाद से ही राजा ने अपने राज्य में यह त्योहार मनाने की घोषणा कर दी।छठ पूजा कैसे मनाया जाता है?छठ पूजा का पर्व मुख्य रूप से बिहार में मनाया जाता है। बिहार में इस पर्व को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। छठ पूजा पर्व का प्रमुख हिस्सा छठ व्रत है। छठ व्रत में बिना अन्न जल ग्रहण करे रहना, सूर्य को कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य देना, एकांत में प्रसाद ग्रहण करना, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना आदि कठोर नियम शामिल है।इस दिन सूर्य की दोनों पत्नियां उषा अर्थात सूर्योदय एवं प्रत्युषा अर्थात सूर्यास्त की पूजा भी की जाती है। बिहार में षष्ठी माता के लोकगीत बहुत प्रचिलित हैं। छठ पूजा की शुरुआत होती घरों एवं मंदिरों से छठ माता के लोकगीतों की गूंज सुनाई पड़ने लगती है। छठ पूजा बिहार की परम्परा बन चुकी है।

बाद से ही राजा ने अपने राज्य में यह त्योहार मनाने की घोषणा कर दी।छठ पूजा कैसे मनाया जाता है?छठ पूजा का पर्व मुख्य रूप से बिहार में मनाया जाता है। बिहार में इस पर्व को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। छठ पूजा पर्व का प्रमुख हिस्सा छठ व्रत है। छठ व्रत में बिना अन्न जल ग्रहण करे रहना, सूर्य को कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य देना, एकांत में प्रसाद ग्रहण करना, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना आदि कठोर नियम शामिल है।इस दिन सूर्य की दोनों पत्नियां उषा अर्थात सूर्योदय एवं प्रत्युषा अर्थात सूर्यास्त की पूजा भी की जाती है। बिहार में षष्ठी माता के लोकगीत बहुत प्रचिलित हैं। छठ पूजा की शुरुआत होती घरों एवं मंदिरों से छठ माता के लोकगीतों की गूंज सुनाई पड़ने लगती है। छठ पूजा बिहार की परम्परा बन चुकी हैl

छठ पूजा में क्या-क्या लगता है?

छठ पूजा में चंदन, चावल, सिंदूर, धूपबत्ती, कुमकुम, कपूर, फल, शहद– हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा इत्यादि लगता है।

छठ पूजा कहां मनाया जाता है?

छठ पूजा भारतवर्ष में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में मनाया जाता है।

छठ माँ कौन है?

छठी देवी को शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है.

छठ माता की उत्पत्ति कैसे हुई?

छठ माता, जिन्हें षष्ठी देवी भी कहा जाता है, को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है, और इन्हें प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंश से उत्पन्न होने के कारण षष्ठी कहा जाता है।

आज आपने क्या सीखामुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख छठ पूजा क्यों मनाया जाता है जरुर पसंद आई होगी। मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को छठ पूजा क्यों मानते है के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या इन्टरनेट में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।

Verified by MonsterInsights