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कहानी – क्यूँ दिया युधिष्ठिर ने माता कुंती को श्राप Story – Why Yudhishthira cursed Mata Kunti

कहानी – क्यूँ दिया युधिष्ठिर ने माता कुंती को श्राप Story – Why Yudhishthira cursed Mata Kunti

| महाभारत ग्रन्थ में ऐसे कई तथ्य हैं जो वर्तमान की मान्यताओं को चरितार्थ करते हैं | महाभारत कहानी  का एक संकलन आप पाठको के लिए तैयार किया जा रहा हैं जो आपकी जिज्ञासुओं को शांत करता हैं |

आपने सुना ही होगा कि महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती | यह क्यूँ और कैसे हुआ ? आपको आश्चर्य होगा इसका संबंध महाभारत काल से जुड़ी एक घटना से हैं | यह एक श्राप हैं जो धर्मराज युधिष्ठिर ने समस्त औरत जाति को दिया | क्यूँ दिया युधिष्ठिर ने माता कुंती को श्राप जाने पूरी घटना ………

क्यूँ दिया युधिष्ठिर ने माता कुंती को श्राप

सभी जानते हैं कि माता कुंती के पाँच पुत्र थे जिनमे युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल एवम सहदेव | नकुल और सहदेव कुंती की सौतन माद्री के पुत्र थे |लेकिन कुंती का एक और पुत्र था वो था महापराक्रमी कर्ण जिसे कुंती ने जन्म के समय ही त्याग दिया था | क्यूँ हुआ था ऐसा जाने विस्तार से

कुंती धरमपरायण नारी थी जो सदैव सेवा और पुण्य के कार्य करती थी | एक बार उन्होंने सच्चे दिल से ऋषि दुर्वासा की सेवा की जिससे प्रसन्न होकर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें एक मंत्र दिया जिसके प्रभाव से कुंती जिस भी देवता से संतान प्राप्ति की इच्छा रखेंगी | उसे प्राप्त होगा और इससे कुंती के कोमार्य पर कोई हानि ना होगी | यह आशीर्वाद प्राप्त कर कुंती जब अपने राज महल आई | उसके मन में विचार आया कि क्यूँ न इस मंत्र का प्रयोग करके देखे और उसने सूर्य देवता का आव्हान किया जिसके फलस्वरूप उन्हें कर्ण की प्राप्ति हुई जिसे देख कुंती भयभीत हो गई कि अब वे इस बालक को कैसे अपने साथ रख पाएंगी | बिना विवाह के इस पुत्र को साथ रखने से कुंती एवम पुत्र दोनों के चरित्र पर सवाल उठेंगे | इस तरह से बालक का जीवनव्यापन दूभर हो जायेगा | अतः वे कठोर मन से कर्ण को त्यागने का निर्णय लेती हैं |

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