भाग 17।राजभाषा – Official Language(Article 343-351)
भाग 17: राजभाषा (अनुच्छेद 343-351) का विश्लेषण
यह भाग संविधान में राजभाषा से संबंधित प्रावधानों को निर्धारित करता है। आइए प्रत्येक अनुच्छेद को विस्तार से देखें:
अध्याय 1: संघ की भाषा (Language of U)
- अनुच्छेद 343 (Article) संघ की राजभाषा: यह अनुच्छेद हिंदी को देवनागरी लिपि में संघ की राजभाषा घोषित करता है। अंतर्राष्ट्रीय रूप में भारतीय अंकों का प्रयोग संघ के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। संविधान लागू होने के 15 वर्षों तक अंग्रेजी का प्रयोग उन सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए जारी रहेगा जिनके लिए इसका प्रयोग संविधान लागू होने से ठीक पहले किया जा रहा था। राष्ट्रपति इस अवधि के दौरान, आदेश द्वारा, संघ के किसी भी आधिकारिक उद्देश्य के लिए अंग्रेजी के अतिरिक्त हिंदी भाषा और अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी अंकों के प्रयोग को अधिकृत कर सकते हैं।
- अनुच्छेद 344: राजभाषा पर संसद की आयोग और समिति: यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को संविधान के प्रारंभ से 5 वर्ष और उसके बाद प्रत्येक 10 वर्ष में एक आयोग गठित करने का अधिकार देता है। आयोग हिंदी के प्रसार, विकास और संघ के राजकीय उद्देश्यों के लिए इसके प्रयोग की प्रगति की समीक्षा करेगा।
अध्याय 2: प्रादेशिक भाषाएँ (Regional Languages)
- Article 345: राज्य की राजभाषाएँ (State official languages) यह अनुच्छेद राज्य के विधानमंडल को राज्य में प्रयुक्त किसी एक या अधिक भाषाओं या हिंदी को राज्य के सभी या किसी भी आधिकारिक उद्देश्य के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा के रूप में अपनाने का अधिकार देता है। जब तक राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध नहीं करता, तब तक राज्य के भीतर उन आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग जारी रहेगा, जिनके लिए इसका प्रयोग संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किया जा रहा था।
- एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच पत्र व्यवहार की राजभाषा(Article 346)यह अनुच्छेद निर्धारित करता है कि संघ में राजकीय उद्देश्यों के लिए प्राधिकृत भाषा, एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच तथा एक राज्य और संघ के बीच पत्र व्यवहार की राजभाषा होगी। यदि दो या दो से अधिक राज्य सहमत होते हैं कि उनके बीच पत्र व्यवहार की राजभाषा हिंदी होनी चाहिए, तो ऐसे पत्र व्यवहार के लिए उस भाषा का प्रयोग किया जा सकता है।
- राज्य की जनसंख्या के एक वर्ग द्वारा बोली जाने वाली भाषा से संबंधित विशेष उपबंध (अनुच्छेद 347) यदि राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाए कि राज्य की पर्याप्त जनसंख्या द्वारा बोली जाने वाली किसी भाषा को उस राज्य में मान्यता दी जानी चाहिए, तो वह उस संबंध में निर्देश जारी कर सकते हैं।
अध्याय 3: उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों आदि की भाषा
- Article 348: उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में तथा अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयुक्त की जाने वाली भाषा: यह अनुच्छेद उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में कार्यवाहियों की भाषा के रूप में अंग्रेजी के प्रयोग को अनिवार्य करता है। संसद विधि द्वारा किसी उच्च न्यायालय में कार्यवाहियों के लिए हिंदी या राज्य की किसी अन्य भाषा के प्रयोग को अधिकृत कर सकती है।
- Article 349: भाषा से संबंधित कुछ विधियों के अधिनियमन के लिए विशेष प्रक्रिया: संसद, अनुच्छेद 348 के उपबंधों में किसी परिवर्तन से संबंधित किसी भी विधेयक को तब तक नहीं पारित करेगी जब तक कि इसे राष्ट्रपति द्वारा राज्य के विधानमंडल को सिफारिश नहीं की जाती।
अध्याय 4: विशेष निर्देश (Special Instructions)
- अनुच्छेद 350: शिकायतों के निवारण के लिए अभ्यावेदनों में प्रयुक्त की जाने वाली भाषा: प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद की भाषा में संघ या किसी राज्य के किसी भी कार्यालय को शिकायतें प्रस्तुत करने का अधिकार है।
- अनुच्छेद 350A: प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएँ: यह अनुच्छेद प्रत्येक राज्य और स्थानीय प्राधिकरण को भाषाई अल्पसंख्यक समूहों के बच्चों को अपनी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश देता है।
- अनुच्छेद 350B: भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी: राष्ट्रपति भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त करेंगे जो राष्ट्रपति को सीधे रिपोर्ट करेंगे।
- अनुच्छेद 351: हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश: यह अनुच्छेद संघ को हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश देता है ताकि यह भारत की समग्र संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके।
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